खौफ़: थलीसैंण में सक्रिय भालू का आतंक बरकरार, पकड़ नहीं पा रहा है वन विभाग
पौड़ी। थलीसैंण के राठ क्षेत्र में ग्रामीणों को भालू के आंतक से निजात नहीं मिल पा रही है। वहीं दूसरी तरफ वन विभाग की टीम गांवों में डेरा डाले हुई हैं। अभी तक भालू को पकड़ने में वन विभाग की रणनीति काम नहीं आ पाई है। भालू ने अकेले राठ क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में पिछले तीन महीनों में 30 से अधिक मवेशियों को गोशालाओं के दरवाजे तोड़कर मार रहा है। तब से भालू की खोज में वन विभाग की टीमों ने क्षेत्र के कई चक्कर काट दिए हैं। दो बार भालू को मारने और ट्रैंक्यूलाइज करने की परमिशन वन विभाग ले चुका है। लेकिन भालू न तो ट्रैंक्यूलाइज हो पाया और नहीं पकड़ में आया। भालू ने इस बीच गांव बदल-बदल कर कई मवेशियों को मार दिया है। राठ क्षेत्र में भालू के सक्रिय होने से ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है। भालू ने पाबौ और खिर्सू में भी इस बीच हमले कर 3 लोगों को घायल भी किया। राठ क्षेत्र में सक्रिय भालू को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीमें मंजरी से लेकर सौंठ, कठ्यूड, कुचौली आदि गांवों में गश्त में जुटी है। भालू की लोकेशन को देखने के लिए विभाग थ्रमल ड्रोन का भी सहारा ले रहा है लेकिन लोकेशन का पता नहीं चल पाया। गढ़वाल वन प्रभाग की एसडीओ आयशा बिष्ट ने बताया कि यहां मैन पावर भी बढ़ाई गई है ताकि भालू की गतिविधि नजर आए और जितनी जल्दी हो सके भालू पकड़ में आ जाए लेकिन अभी तक भालू की कोई गतिविधि यहां तैनात टीम को नहीं दिखाई देने से चुनौती बनी हुई है। विभाग की 25 वनकर्मियों की टीम क्षेत्र में डेरा डाले हुई है। अभी भालू को ट्रैंक्यूलाइज करने की परमिशन भी विभाग के पास है लेकिन दिखाई नहीं दिए जाने की वजह से भालू को ट्रैंक्यूलाइज नहीं किया जा सका है।

