मुद्दा: ट्रंप की गोल्ड कार्ड योजना से उड़ी कई देशों की नींद

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गोल्ड कार्ड ने पूरी दुनिया को चकमका दिया है। ट्रंप जो कहते हैं वह हमेशा कर भी दें इसकी कोई गारंटी नहीं है।
और इसकी भी कोई गारंटी नहीं की जो वह करना चाहते हैं उसे सचमुच कर पाएं, मगर इतना तय है कि उन्होंने पदभार संभालते ही जिस तरह का धूम-धड़ाका किया है, उसने कई देशों की नींद उड़ा दी है। कई देशों को चिंता में डाल दिया है तो कई देशों को अपनी अमेरिकी नीति पर पुनर्विचार करने पर बाध्य कर दिया है। भारत भी ट्रंप की घोषणाओं और उसके क्रियान्वयन से अछूता नहीं है।
अवैध प्रवासियों की अपमानजनक वापसी की धमक भारत झेल ही रहा था कि अब उसे गोल्ड कार्ड भी परेशानी में डाल रहा है। ट्रंप की गोल्ड कार्ड योजना वास्तव में क्या है किसी के समझ में नहीं आई है। इस योजना के मुताबिक 50 लाख अमेरिकी डॉलर यानी करीब 44 करोड़ रुपये देकर कोई भी विदेशी नागरिक अमेरिका में बस सकता है और तीव्र गति से अस्थाई नागरिकता प्राप्त करने के लिए अग्रसर हो सकता है।
पहली बात तो यह है कि लोग धन कमाने के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं, अपना धन लेकर अमेरिका में बसना नहीं। यहां ट्रंप अमेरिका को एक बिकाऊ माल की तरह बेचना चाहते हैं जैसे कोई अच्छी जमीन बेची जाती है। यानी ट्रंप अमेरिका को ऐसे स्वर्ग के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं जहां किसी भी देश का कोई व्यक्ति 50 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च कर बसना चाहेगा। क्या सचमुच अमेरिका ऐसा स्वर्ग है?
अगर भारत की बात करें तो यहां बहुत बड़ी संख्या धनपतियों की है जिन्होंने अनेकानेक गैर कानूनी तरीकों से धनी इकट्ठा किया है और वह इसकी सुरक्षा चाहते हैं। ऐसे लोग भारत में सीधे राजनेताओं या राजनीतिक दलों को अपनी सुरक्षा के लिए धन उपलब्ध कराते हैं। चुनावी चंदे में इस तरह के कई मामले उजागर हुए थे।
दूसरी बात जो ट्रंप ने प्रतिभावान विदेशी छात्रों के बारे में कही जो अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद नागरिकता नहीं मिलने के कारण अपने मूल देश में लौटकर व्यापार करते हैं और करोड़ों में खेलने लगते हैं।
सवाल है कि कोई अमेरिकी कंपनी 50 लाख डॉलर देकर ऐसे प्रतिभावान युवाओं को नौकरी देने में रुचि क्यों दिखाएगी, इसका कोई ठोस तर्क सामने नहीं है। बहरहाल, जनता की गाढ़ी कमाई को अमेरिका में ले जाकर बसने के लालची भ्रष्ट पूंजीपतियों को गोल्ड कार्ड ने जरूर सुनहरा अवसर दिखा दिया है।
