मुद्दा: डॉनल्ड ट्रंप के आक्रामक लहजे से बदलने लगे समीकरण

डॉनल्ड ट्रंप के आक्रामक लहजे ने दुनिया में समीकरण बदल दिए हैं, वहीं तनाव और आशंकाओं को पहले ज्यादा गहरा कर दिया है। बदले समीकरणों की सबसे साफ झलक यूरोप में देखने को मिली है, जहां विभिन्न देश इस हकीकत के रू-ब-रू हैं कि अब वे अमेरिका के सुरक्षा साये पर भरोसा नहीं कर सकते।
तो नव-उदारवादी नीतियों के तहत अपनाए गए राजकोषीय अनुशासन को अलविदा कहते हुए उन्होंने 500 बिलियन यूरो ऋण लेकर सशस्त्र तैयारी करने का इरादा जताया है। मगर तनाव का असल मोर्चा अलग है।
ट्रंप ने चार मार्च से चीन पर टैरिफ की नई दर लागू की। कनाडा और मेक्सिको के साथ चीन पर भी उन्होंने मादक पदार्थ फेंटानील की अमेरिका में तस्करी में सहायक बनने का इल्जाम लगाया है।
इस पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कड़ा जवाब दिया। उसे टैग करते हुए वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने जो कहा, वह अपशकुन का संकेत है। दूतावास ने कहा-अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, चाहे वह टैरिफ वॉर हो या कोई अन्य, तो हम अंत तक लड़ने को तैयार हैं।’
इस पर आक्रामक प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्री पीटर हेगसेट ने कहा- जो शांति चाहते हैं (यानी अमेरिका), वे युद्ध के लिए भी तैयार रहते हैं।
इसके पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से वह दस्तावेज हटा दिया था, जिसमें एक चीन नीति’ के प्रति अमेरिका की वचनबद्धता दर्ज थी। उधर ताइवान को नए हथियार देने की घोषणा भी ट्रंप प्रशासन ने की है।
चीन इस पर भड़का हुआ है। गौरतलब है, चीन की राय में ताइवान उसकी रेडलाइन है। बहरहाल, मुश्किल यह है कि ट्रंप प्रशासन ने ताइवान पर भी अपने चिप कारोबार के जरिए अमेरिका को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है।
वहां की मशहूर चिप निर्माता कंपनी टीएसएमसी को अमेरिका में 100 बिलियन डॉलर अतिरिक्त निवेश के लिए उसने प्रेरित किया है। इससे ताइवान में आशंकाएं गहराई हैं कि अमेरिका रणनीतिक रूप से उसे अप्रासंगिक करने की दिशा में बढ़ रहा है। यूक्रेन के प्रति अचानक बदली अमेरिकी नीति के कारण अमेरिका के दोस्त देशों का भरोसा वैसे भी डिगा हुआ है।
