विवाद: विधानसभा बैकडोर भर्ती प्रकरण में अध्यक्ष के निर्णय पर तनातनी जारी, शांत होने को राजी नहीं बर्खास्त कर्मचारी
देहरादून। विधानसभा में बैकडोर भर्ती प्रकरण 228 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के बाद लगातार सुर्खियों में है। इसके साथ ही जहां प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सरकार और विधान सभा अध्यक्ष पर हमलावर हो गई है, वहीं बर्खास्त कर्मचारी उग्र तेवरों के साथ सड़कों पर उतर आए हैं। भले ही विधानसभा के बाहर धरने पर बैठे कर्मचारियों को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के कड़े विरोध के बावजूद जबरन उठाकर धरना समाप्त करा दिया है लेकिन उनके तेवर जरा भी ढीले नहीं पड़े हैं। गौरतलब है कि बुधवार को धरनास्थल से कर्मचारियों को उठाने के दौरान उनकी पुलिस के साथ जबरदस्त झड़प भी हुई थी, जिसमें दो महिलाकर्मी बेहोश हो गईं थीं। पुलिस ने दोनों महिलाओं को कोरोनेशन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया।
उधर, पुलिस की इस कार्रवाई से प्रदर्शनकारियों में भारी आक्रोश फैल गया। इस बीच सूचनाएं मिल रही हैं कि बर्खास्त कर्मचारी अब कोरोनेशन हॉस्पिटल के बाहर धरना देने पहुंच रहे हैं। कर्मचारी एकता विहार, सहस्त्रधारा से हॉस्पिटल तक जुलूस के साथ पहुंच रहे हैं। इससे पहले उग्र प्रदर्शन को देखते हुए पुलिस ने सभी प्रदर्शनकारियों को विधानसभा के बाहर धरना स्थल से जबरन उठाकर एकता विहार स्थित धरना स्थल भेज दिया था। पुलिस ने मंगलवार को भी दो बार कर्मचारियों को उठाने का प्रयास किया था लेकिन विरोध के चलते उनको वहां से उठा नहीं पाई थी। दरअसल, विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों का विधानसभा के पास बेमियादी धरना बुधवार तक भी जारी था। इस पूरे मामले में 228 कर्मचारियों को बर्खास्त कर सुर्खियां बटोरनेवाली विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी की भूमिका अब पूरी तरह से संदेह के घेरे में आ गयी है। धरने पर बैठे कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब सब नियुक्तियां अवैध हैं तो ऋतु खंडूड़ी ने केवल साल 2016 के बाद नियुक्त कर्मचारियों पर ही कार्रवाई क्यों की ?
बर्खास्त कर्मचारियों का कहना है कि विधानसभा सचिवालय में साल 2001 से 2021 तक की सभी नियुक्तियां एक ही पैटर्न पर की गई हैं। कोटिया कमेटी की महज 20 दिन की जांच के बाद दी गई रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी द्वारा 2016 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं, जबकि इससे पहले के कर्मचारियों को विधिक राय के नाम पर क्लीन चिट दे दी गई। उनका कृत्य इसलिए भी निंदनीय है कि हाईकोर्ट में दिए अपने शपथ पत्र में विधानसभा अध्यक्ष ने खुद भी बताया है कि राज्य निर्माण के बाद से अब तक की सभी नियुक्तियां अवैध हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि पांच दिन के भीतर यदि कोई सकारात्मक कार्रवाई न हुई तो इसके विरोध में आंदोलन तेज किया जाएगा। इसके विरोध में सभी कर्मचारी परिजनों सहित उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। वहीं, बर्खास्त कर्मी विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं।
कर्मचारियों ने अन्य विभागों में हुईं नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि वर्ष 2003 के शासनादेश के बाद विधानसभा ही नहीं बल्कि अन्य विभागों में भी हजारों कर्मचारी तदर्थ, संविदा, नियत वेतनमान और दैनिक वेतन पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अगर विधानसभा कर्मचारियों की नियुक्तियां अवैध हैं तो फिर अन्य विभागों में नियुक्तियों को कैसे वैध माना जा रहा है। वहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ?
कर्मचारियों का कहना है कि पांच दिन के भीतर यदि कोई सकारात्मक कार्रवाई न हुई तो इसके विरोध में आंदोलन तेज किया जाएगा। इसके विरोध में सभी कर्मचारी परिजनों सहित उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। वहीं, बर्खास्त कर्मी विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के इस्तीफे की मांग भी कर रहे हैं।
कर्मचारियों ने अन्य विभागों में हुईं नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया है। उनका कहना है कि वर्ष 2003 के शासनादेश के बाद विधानसभा ही नहीं बल्कि अन्य विभागों में भी हजारों कर्मचारी तदर्थ, संविदा, नियत वेतनमान और दैनिक वेतन पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में अगर विधानसभा कर्मचारियों की नियुक्तियां अवैध हैं तो फिर अन्य विभागों में नियुक्तियों को कैसे वैध माना जा रहा है। वहां कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ?
