आकलन: रईसी की मौत से मध्यपूर्व में देर तक गूंजेगी हादसे की ध्वनि

आकलन: रईसी की मौत से मध्यपूर्व में देर तक गूंजेगी हादसे की ध्वनि
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डॉ. एन.के. सोमानी
रान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद पूरी दुनिया कशमकश की स्थिति में है। दुनिया के किसी कौने में कोई हलचल नहीं। कोई प्रतिक्रिया नहीं। मध्य-पूर्व सत्बंध है! यूरेशिया में सन्नाटा है और अमेरिका के भीतर आश्चर्यजनक चुप्पी है। लगता है तमाम छोटे-बड़े राष्ट्रों ने खुद को सभ्यता के एक ऐसे खोल में छुपा लिया है, जहां गैर जरूरी शब्दों की गूंज सुनाई न दे सके। क्या कारण है इब्राहिम रईसी जैसे अतिरूढ़िवादी मौलवी और ‘ईरानी कसाई’ की मौत पर अच्छी या बुरी कोई प्रतिक्रिया नहीं। हालांकि, अभी तक जो कुछ निकलकर आया है, उसके मुताबिक खराब मौसम की वजह से हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हुआ है। लेकिन जिस तरह से रईसी ने इजरायल और अमेरिका के प्रति सख्त रूख अपनाया हुआ था उसे देखते हुए हादसे में किसी साजिश की आशंका भी जताई जा रही है।
कहा जा रहा है कि रईसी अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव के साथ ईरान-अजरबैजान सीमा पर नव निर्मित किज कलासी बांध का उद्घाटन कर वापस लौट रहे थे। मीडिया रिर्पोर्ट्स के मुताबिक नार्थ वेस्ट ईरान जहां रईसी का हेलिकॉप्टर क्रेश हुआ वहां मौसम बहुत खराब था। ऐसे में हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया हो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन सवाल यह है कि रईसी के काफिले में शामिल दो अन्य हेलिकॉप्टर सही सलामत अपने गंतव्य तक कैसे पहुंच गए। दूसरा, जिस तरह से पिछले चार सालों में एक के बाद एक ईरान के कई बड़े नेताओं की हत्याएं हुई है उससे भी षंडयत्र का इंकार नहीं किया जा सकता है। जनवरी 2020 में ईरानी कुर्द सेना के जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिका ने बगदाद इंटरनेशन एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला कर हत्या कर दी थी। सुलेमानी की मौत के कुछ समय बाद ईरान के मुख्य परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की भी हत्या कर दी गई। फखरीजादेह की हत्या के लिए ईरान आज भी इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दोषी मानता है। इससे पहले 2010-12 के बीच में ईरान के चार परमाणु वैज्ञानिकों की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी। इन तमाम घटनाओं के आलोक में यह कहा जा सकता है कि रईसी की मौत को महज दुर्घटना मानकर ईरान स्वीकार कर लेगा इसकी संभावना कम ही है। सवाल यह है कि एक के बाद एक हुई घटनाओं के बावजूद ईरान ने अब तक सबक क्यों नहीं लिया। हर समय शत्रु देशों की खुफिया एजेसियों की नजर में रहने वाला ईरान वीवीआईपी मूवमेंट के दौरान रखी जाने वाली जरूरी सावधानी या गोपनियता क्यों नहीं रख पाया। रईसी की मौत कहीं ईरानी खुफिया एजेंसियों की लीक का परिणाम तो नहीं। क्या ईरान इस बात को नहीं जानता कि  इजरायल लंबे समय से अजरबैजान के जरिए ही उसकी नाभिकीय गतिविधियों पर नजर रखे हुए था।
रईसी साल 2021 में उस वक्त ईरान की सत्ता में आए जिस वक्त  ईरान आंतरिक असहमति और पश्चिमी ताकतों के साथ दो-दो हाथ कर रहा था। अमेरिका द्वारा ऐतिहासिक परमाणु समझौते से हटने और कोविड-19 प्रकोप के कारण देश गंभीर आर्थिक चुनौतियों से घिरा हुआ था। लच्चर अर्थव्यवस्था और मुद्रा संकट के चलते व्यापार उद्योग बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। कैंसर व डायबिटीज की दवाओं की भारी किल्लत थी। ईरान के केन्द्रीय बैंक पर वैश्विक प्रतिबंध के कारण दवा कंपनियां ईरान से व्यापार करते हुए कतरा रही थी। दूसरी ओर अमेरिका ने रईसी पर व्यक्तिगत तौर पर भी प्रतिबंध लगा रखे थे। उन पर साल 1988 में मानवाधिकारों के उल्लंघन और राजनीतिक कैदियों को मौत की सजा देने के आरोप थे। इन सबके बावजूद रईसी के नेतृत्व में ईरान न्यूक्लियर हथियार बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम का संवर्धन करने में कामयाब हो गया। हालांकि, रईसी ने कई बार इस बात को दोहराया कि वे अमेरिका के साथ परमाणु  समझौते में फिर से शामिल होना चाहते है। लेकिन एक कठोर सच यह भी है कि उनका प्रशासन अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण से हमेशा बचता रहा। यही वजह है कि रईसी का कार्यकाल बड़े पैमाने पर विद्रोह और पश्चिम के प्रति आक्रामक रूख के लिए जाना जाता है।
साजिश का एक एंगल ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई के बेटे की तरफ  भी जाता हुआ दिखाई दे रहा है। रईसी को खामेनेई का बेहद करीबी माना जाता था। यहां तक की रईसी को खामेनेई के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाता था। 1989 में सुप्रीम लीडर बनने से पहले खामेनेई भी ईरान के राष्ट्रपति का पद संभाल चुके हैं।  पिछले दिनों ही खामेनेई ने रईसी को अत्यधिक अनुभव वाला भरोसेमंद व्यक्ति कहा था। इसके बाद अटकले लगाई जा रही थी कि खामेनेई रईसी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत करेंगे। दूसरी ओर खामेनेई के बेटे मोजतबा अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाना चाहते है। रईसी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थे। नि:संदेह रईसी की मौत के बाद मोजतबा के मार्ग का एकमात्र कांटा अपने आप साफ हो गया है। अक्टूबर 2023 में इजरायल-हमास युद्ध शुरू हुआ। युद्ध के परिणामस्वरूप पूरा क्षेत्र हिंसक गतिविधियों का गढ़ बन गया। इराक और सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया ने अमेरिकी ठीकानों को निशाना बनाया है।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Parvatanchal

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