जयंती: श्री हंस जी महाराज ने ज्ञान से बदला करोड़ों लोगों का जीवन-माताश्री मंगला जी

जयंती: श्री हंस जी महाराज ने ज्ञान से बदला करोड़ों लोगों का जीवन-माताश्री मंगला जी
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बी.के.त्यागी
हरिद्वार। विश्व की महान आध्यात्मिक विभूति योगीराज श्री हंस जी महाराज की 125वीं जयंती पर ऋषिकुल कालेज मैदान में आज विधि विधान के साथ दो दिवसीय जनकल्याण समारोह का शुभारम्भ हुआ। कार्यक्रम का आयोजन हंस ज्योति-ए यूनिट आफ हंस कल्चरल सेंटर नई दिल्ली द्वारा किया गया।

द हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत परमपूज्य श्री भोले जी महाराज एवं माताश्री मंगला जी के सानिध्य में आयोजित इस समारोह में आज देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु-भक्त हरिद्वार पहुंचे।

इस मौके पर परमपूज्य श्री भोले जी महाराज ने–सुनो-सुनो वचन नर नारी, हरि भजन करो सुख कारी तथा गुरु चरण कमल बलिहारी रे आदि गुरु महिमा और भगवान की भक्ति से जुड़े भजन प्रस्तुत कर लोगों को ज्ञान, भक्ति, मानव सेवा और परोपकार के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

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समारोह के दौरान माताश्री मंगला जी ने श्री हंस जी महाराज और माताश्री राजेश्वरी देवी के चित्रों के समक्ष नमन कर उनसे आशीर्वाद मांगा। उन्होंने कहा कि हम सबके लिए बड़ी खुशी की बात है कि आज हम मां पतित पावनी गंगा के किनारे योगीराज श्री हंस जी महाराज की 125वीं जयंती मना रहे हैं। योगीराज श्री हंस जी महाराज अपने समय के अलौकिक महापुरुष और महान संत थे‌। हरिद्वार उनकी जन्म और कर्मस्थली रही है और यहीं से उन्होंने अध्यात्म ज्ञान प्रचार और जनकल्याण की शुरुआत की थी। अध्यात्म ज्ञान का छोटा सा जो पौधा श्री हंस जी महाराज ने लगाया था, वह आज विशाल वृक्ष बन चुका है। आज भारत ही नहीं बल्कि विश्श्व के अनेक देशों में ज्ञान का डंका बज रहा है।

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माताश्री मंगला जी ने कहा कि श्री हंस जी महाराज का आजादी की लड़ाई में भी बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने अध्यात्म के द्वारा लोगों की चेतना को जगाकर उन्हे अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया। उनकी महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया
जा सकता है कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद उनके शिष्य और प्रधानमंत्री चौ. चरणसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती गायत्री देवी उनकी शिष्या थीं।
समारोह में देश के विभिन्न तीर्थों से आये संत-महात्माओं ने भी लोगों को सत्संग और ज्ञान की गंगा में डुबकी लगवाई‌। भजन गायकों ने सुंदर भजनों की प्रस्तुति कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

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