प्रयास: अल्मोड़ा के वानथोक गांव में माधो सिंह भंडारी संयुक्त सहकारी खेती के तहत 80 एकड़ में हल्दी की खेती….

प्रयास: अल्मोड़ा के वानथोक गांव में माधो सिंह भंडारी संयुक्त सहकारी खेती के तहत 80 एकड़ में हल्दी की खेती….
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देहरादून/ अल्मोड़ा। हल्दी, करकुमा लोंगा पौधे की जड़ से प्राप्त एक जीवंत नारंगी मसाला है, जो सदियों से दुनिया के कई हिस्सों में पारंपरिक औषधीय प्रथाओं और परंपराओं में प्रमुख रहा है। इसके विशिष्ट स्वाद और गहरे रंग ने इसे वैश्विक बाजार में एक मूल्यवान वस्तु बना दिया है, लेकिन इसके लाभ इसके पाक उपयोग से कहीं अधिक हैं। हल्दी की खेती हमारे जीवन में आवश्यक है, क्योंकि यह दुनिया भर के लोगों के लिए व्यापक स्वास्थ्य, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ प्रदान करती है। हल्दी के सबसे अच्छी तरह से प्रलेखित लाभों में से एक इसके शक्तिशाली औषधीय गुण हैं। हल्दी में सक्रिय यौगिक, करक्यूमिन, का इसके सूजनरोधी, एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुणों के लिए बड़े पैमाने पर अध्ययन किया गया है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में गठिया, पाचन संबंधी समस्याओं, त्वचा विकारों और यहां तक ​​कि कुछ प्रकार के कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके अलावा, आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान ने यह भी सुझाव दिया है कि हल्दी हृदय स्वास्थ्य, संज्ञानात्मक कार्य और समग्र प्रतिरक्षा प्रणाली समर्थन के लिए संभावित लाभ हो सकती है। स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण पर बढ़ते जोर के साथ, हल्दी की खेती दुनिया भर के लोगों के लिए इस मूल्यवान पौधे और इसके औषधीय लाभों तक पहुंच प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

उत्तराखंड राज्य एकीकृत सहकारी विकास परियोजना के तहत संयुक्त सहकारी खेती, के तहत हल्दी की खेती उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में गति पकड़ रही है। कृषि के लिए इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण में क्षेत्र में कृषि पद्धतियों में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए उत्पादकता और आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होगी।

संयुक्त सहकारी खेती के तहत हल्दी की खेती अल्मोड़ा जिले में पनवानोला एम-पैक्स के वानथोक गांव में देखा जा सकती है, जहां लगभग 80 एकड़ भूमि पर हल्दी की खेती की गई है। हल्दी निकालने कार्य अभी चल रही है, निकट भविष्य में इसके प्रसंस्करण की भी योजना है। आज मंडलीय उप निबंधक कुमाऊँ मंडल हरीश चंद्र खण्डूड़ी सहित अन्य अधिकारियों अपर जिला सहकारी अधिकारी चंद्र प्रकाश एवं नोडल अधिकारी अपर जिला सहकारी अधिकारी रोहित चंद्र दुम्का एवं पनवानोला समिति के सचिव चंद्रकांत उप्रेती एवं जागेश्वर समिति के सचिव हेमंत बनोला द्वारा कृषि गतिविधियों का स्थलीय निरीक्षण किया गया, जिसके दौरान यह देखा गया कि उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

अपर निबंधक सहकारिता व यूकेसीडीपी के नोडल अधिकारी आनंद शुक्ल ने बताया कि वानथोक गांव में संयुक्त खेती का सफलता का श्रेय माधो सिंह भंडारी संयुक्त सहकारी खेती पहल के समर्पित प्रयासों के साथ-साथ स्थानीय किसानों के सहयोग और कड़ी मेहनत को दिया जा सकता है। अतिरिक्त जिला सहकारी अधिकारी, नोडल अधिकारी और पनवानोला और जागेश्वर समितियों के सचिवों जैसे प्रमुख हितधारकों की उपस्थिति, इस कृषि दृष्टिकोण की सहयोगात्मक प्रकृति को उजागर करती है।

अपर निबंधक शुक्ल ने बताया कि, संयुक्त खेती में उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है। संसाधनों को एकत्रित करके, ज्ञान साझा करके और एक समान लक्ष्य की दिशा में मिलकर काम करके, किसान विभिन्न चुनौतियों से पार पाने में सक्षम होते हैं और अपने कृषि प्रयासों में अधिक सफलता प्राप्त करते हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत किसानों को लाभ होता है बल्कि पूरे स्थानीय लोगों के समग्र विकास और समृद्धि में भी योगदान मिलता है।

वानथोक गांव में हल्दी की खेती सफलता इस क्षेत्र में संयुक्त खेती की क्षमता का प्रमाण है। यह उस सकारात्मक प्रभाव का एक आशाजनक संकेत है जो सहयोगात्मक कृषि पद्धतियों का कृषि क्षेत्र पर हो सकता है। निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के साथ, संयुक्त खेती में पहाड़ी जिलों के कृषि परिदृश्य को बदलने और अधिक टिकाऊ और समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की क्षमता है।

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