व्यापारिक संबंध: ट्रम्प के टैरिफ वार का क्या होगा वैश्विक असर?

मौजूदा हालात में भारत को भी बरतनी होगी सतर्कता

दीपिका पाल
सप्ताह भर की अनिश्चितता के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ऐसा वैश्विक व्यापार युद्ध छेड़ दिया है जो महंगाई बढ़ाने के साथ ही विकास आपूर्ति शृंखला या लॉजिस्टिक्स को प्रभावित कर सकता है। यह ट्रम्प की सनक है या साहसिक कदम, यह तो वक्त ही बताएगा। उन्होंने एग्जीक्यूटिव आर्डर पर हस्ताक्षर कर अमेरिका के 3 बड़े व्यापार सहयोगी देशों पर भारी टैरिफ लगा दिया।
कनाडा और मेक्सिको से आयात की जानेवाली वस्तुओं पर 25 प्रतिशत तथा चीन से आनेवाले सामान पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया गया।अमेरिका इन देशों को जताना चाहता है कि वे अवैध प्रवासियों को रोकने का अपना वादा नहीं निभा पाए और अमेरिका में विषैला फेंटानाइल और अन्य ड्रग्स भेजते रहे।इन तीनों देशों से अमेरिका 40 प्रतिशत सामग्री आयात करता है।अमेरिका ने जिस प्रकार भारी भरकम टैक्स थोप दिए हैं। उसके जवाब में मेक्सिको और कनाडा ने तुरंत जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी।चीन ने करारा जवाब देते हुए कहा कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में ट्रम्प के कदम को चुनौती देगा तथा अन्य प्रतीकात्मक कदम उठाएगा।
कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने जवाबी कदम के तौर पर अमेरिका निर्मित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया।उन्होंने कनाडावासियों से स्वदेशी उत्पादन खरीदने और देश के भीतर ही छुट्टियां मनाने की अपील की।मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाडिया शीनबाम ने अपने अर्थनीति मंत्री को देशहित में अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने को कहा।ट्रम्प ने अपने निर्णय को उचित बताते हुए कहा कि इससे अमेरिका में निर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। नौकरियां बचेंगी तथा व्यापार घाटे से निपटा जा सकेगा। दूसरी ओर अमेरिका के अर्थशास्त्र विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रम्प के इस कदम की वजह से 2025 में हर अमेरिकी परिवार पर 830 डॉलर से ज्यादा टैक्स का भार बढ़ जाएगा।
इसका अमेरिकी मौद्रिक नीति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा क्योंकि चीन व मेक्सिको से आनेवाली वस्तुएं कम कीमत की होती हैं और अमेरिका में निर्मित माल की लागत ज्यादा आती है। महंगाई बढ़ जाने पर फेडरल ब्याज की दरें घटाई नहीं जा सकेंगी। ट्रम्प के टैरिफ वार में भारत का नाम नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी इसी माह अमेरिका जाने वाले हैं। दोनों देशों के आर्थिक संबंध मजबूत रखने के लिए भारत को सावधानीपूर्वक कदम उठाने होंगे और उन अवसरों का लाभ उठाना होगा जो इस अनिश्चितता के माहौल से उत्पन्न हुए हैं। इतना तय है कि ट्रम्प ने जिस तरह कनाडा। मेक्सिको और चीन पर टैरिफ बढ़ाए हैं उसकी विश्वव्यापी प्रतिक्रिया होगी।
इस कदम से ट्रम्प ने तीनों देशों को करारा झटका दिया है लेकिन कंज्यूमर इकोनामी वाले अपने देश के लिए भी समस्या उत्पन्न की है जहां के लोग विश्वभर से आई चीजों का उपभोग करने के अभ्यस्त हो गए हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)