पुस्तक चर्चा: ‘रुकी हुई नदी’ – यथार्थ की विसंगतियों को बयां करती कहानियां, शूरवीर रावत के कहानी संग्रह पर चर्चा

देहरादून। सद्य प्रकाशित कविता संग्रह “रुकी हुई नदी” कहानीकार शूरवीर रावत की नवीं पुस्तक है । इस पुस्तक से पूर्व उनके यात्रा वृत्तांत और अन्य पुस्तकें चर्चित रही हैं।
इस कहानी संग्रह में तेरह कहानियां हैं। कहानियों का विस्तार उत्तराखंड के गढ़वाल-कुमाऊं से लेकर भारत के उत्तर पूर्व के अंचल तक फैला है । शूरवीर रावत की कहानियां वेदना ,संवेदना और यथार्थ की विसंगतियों को खूबसूरती से अभिव्यक्त करती दिखाई देती हैं। सभी कहानियां पाठक को आरंभ से अंत तक बांधे रखने में पूरी तरह सफल रही हैं। हर कहानी का अपना सशक्त एरोमा है और अपना विशिष्ट स्वभाव। यही कारण है कि कहानी संग्रह पठनीय तो है ही , अपने मित्रों को उपहार स्वरूप भेंट करने योग्य भी है।
“रुकी हुई नदी ” की सभी तेरह कहानियों पर शहर के साहित्यकारों और पत्रकारों ने बातचीत करते हुए कहानियों की विवेचना की और कहानीकार शूरवीर रावत को शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर शशिभूषण बडोनी , शीश पाल गुसाईं, डॉ नन्द किशोर हटवाल, रमाकांत बेंजवाल, चन्दन सिंह नेगी शूरवीर रावत और काव्यांश प्रकाशन के संस्थापक प्रबोध उनियाल सहित अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
पुस्तक काव्यांश प्रकाशन, वाशिष्ठ सदन, 72 रेलवे रोड, ऋषिकेश देहरादून तथा एमेजोन से प्राप्त की जा सकती है। पुस्तक का मूल्य मात्र 195 ₹ है ।
