चिंताजनक: सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के असीमित फायदे हैं तो नुकसान भी कम नहीं

संजना भागवत
सोशल मीडिया हमारे जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। कई मामलों में तो सोशल मीडिया जानलेवा भी साबित हो रहा है। पिछले दिनों चेन्नई में एक मां ने सोशल मीडिया की ट्रोलिंग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। दरअसल, चेन्नई की एक इमारत में एक बच्चा चौथी मंजिल से गिर गया था, जो शेड पर लटक गया, जिसे काफी मशक्कत के बाद बचाया गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। इसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर बच्चे की मां को खूब ट्रोल किया और उसे लापरवाह बताया। हुआ ये कि सोशल मीडिया पर लोगों ने उन पड़ोसियों की प्रशंसा की, जिन्होंने बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी थी। साथ ही लोगों ने मां की कड़ी आलोचना की और मां पर लापरवाही के आरोप लगाए। कोयंबटूर पुलिस स्टेशन के अनुसार महिला घटना के बाद से काफी तनाव में थी। महिला अपनी आलोचनाओं से काफी परेशान थी।ट्रोलिंग से परेशान होकर वो दो सप्ताह पहले अपने पति और बच्चों के साथ कोयंबटूर में अपने मायके चली गई। यहां भी वह परेशान रही और अंत में थककर उसने आत्महत्या कर ली। महिला के दो बच्चे हैं, जिसमें एक की उम्र पांच साल तो वहीं दूसरे की उम्र आठ माह है। यह इकलौता उदाहरण नहीं है ऐसे अनेक उदाहरण गिनाएं जा सकते हैं। सोशल मीडिया पर अफवाहें और फेक न्यूज़ बहुत जल्दी फैलती हैं। जब तक सच्चाई का पता चले तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है। आजकल तो दूसरे देशों में गड़बड़ी फैलाने के लिए भी सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता है। पाकिस्तान कई बार भारत में अफवाहें और गलत खबरें फैलाने के लिए इस तरह सोशल मीडिया का उपयोग करता है। रूस – यूक्रेन युद्ध और हमास – इजरायल की जंग में भी सोशल मीडिया का दुरुपयोग मानवता की दृष्टि से भयंकर साबित हुआ है। दरअसल सोशल मीडिया को काबू में करने की जरूरत है।अश्लीलता के मामले में भी सोशल मीडिया युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है। भारत सरकार को फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मस पर अश्लीललता परोस रही साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिये। हालांकि यह सच है कि इंटरनेट, गूगल और सोशल मीडिया के जबरदस्त लाभ भी हैं।
दरअसल, सोशल मीडिया ने दुनिया को स्मार्ट मोबाइल के एक डिस्प्ले पर ला खड़ा किया है। सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के असीमित फायदे हैं लेकिन इसके नुकसान भी कम नहीं हैं। खासतौर पर इसकी लत किशोरों को बर्बाद कर रही है।सोशल मीडिया व्यक्ति को एक प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। इस माध्यम द्वारा हम लेखन कार्य, पारिवारिक गतिविधियों, अपनी उपलब्धियों, विशेष पारिवारिक समारोह के चित्रों/वीडियो को व्यक्तिगत रूप से सांझा कर सकते हैं और सार्वजनिक रूप से आम लोगों तक पहुंचा सकते हैं।सिक्के के दो पहलुओं की तरह आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया के अच्छे बुरे दोनों रूपों के इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। दरअसल, संचार माध्यमों पर परोसी जा रही अश्लीलता पर कानूनी तौर पर रोक लगाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में अनेक बार केंद्र सरकार को हिदायत दे चुका है।बहरहाल, सबसे पहले 1997 में पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिक्स डिग्री शुरू हुआ था। इसकी स्थापना एंड्रयू वेनरिच ने की थी।एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक साल में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 7.6 फीसदी बढ़ी है और यह 4.72 अरब तक पहुंच गई है। भारत में फेसबुक पर एक महीने में लगभग 200 करोड़, यूट्यूब पर 100 करोड़, इंस्टाग्राम पर 70 करोड़, रेड्डिट के 25 करोड़, पिनट्रेस्ट के 15 करोड़, आस्क एफएम के 16 करोड़ उपयोगकर्ताओं सहित करोड़ों भारतीय अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर विजिट्स करते हैं। आज दुनिया की कुल आबादी के 60 प्रतिशत से अधिक के बराबर जनता सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है।दरअसल,जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता परोसी जा रही है, वो भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिए, अन्यथा सोशल मीडिया बेलगाम हो जाएगा। इस मामले में स्कूलों को भी चाहिए कि वो मोबाइल और सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर बच्चों और किशोरों को अवेयर करें। अभिभावकों को भी संबंध में ध्यान देना चाहिए।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
