समाज: मानवीय संबंधों को बाजार के हवाले करने की कोशिश है ?
संतोष उत्सुक
नयी ज्योतिषीय सलाह दी जा रही है। कुंडली को दिखाकर, सलाह मानकर, समझ और जानकर प्रेम करना शुरू करें। विवाह तो सितारों के अनुसार पहले से सुनिश्चित होता है। यह बात दीगर है कि वैवाहिक सामंजस्य और विच्छेद के माहिर सलाहकार मानते हैं कि शादी एक व्यवस्था है। ज्योतिषी कह रहे हैं कि शादी के दो वर्ष बाद तक की परिस्थितियों में कौन सी तारीख, मुहूर्त अहम है पहले बता देंगे। इससे विवाह के बाद के संभावित या आशंकित बदलाव स्वीकार करने के लिए तैयार हो सकते हैं। पहले से ही तय कर सकेंगे कि आपस में कैसा व्यवहार और बदलाव करना है।
ज्योतिष पूरी दुनिया में हैं। दुनियाभर में अपने-अपने विश्वास, अंधविश्वास, टोने-टोटके हैं। प्रसिद्ध लोग भी मानते हैं कि इससे लाभ होता है। विदेशों में यह प्रचलन बढ़ रहा है, क्या वहां भी जीवन में टहल रही परेशानियों के कारण, सुरक्षा घेरा बनाने के लिए, भविष्य में होने वाली अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है। पश्चिमी देशों की तरह वैवाहिक संबंधों को हमारे यहां भी चुनौती माना जाने लगा है। समाज में भौतिक विकास के साथ, विदेशी दृष्टिकोण उग रहे हैं, उन्हीं से बचने के लिए ज्योतिष की सहायता ली जा रही है।
प्रश्न है कि क्या वैवाहिक रिश्ते, ज्योतिषीय सलाह और उपायों से सचमुच लाभान्वित होते रहे हैं। खरा सच यह है कि वर्तमान जीवनशैली में, घर चलाने के लिए पति-पत्नी दोनों को काम करना पड़ रहा है। सक्षम लड़कियां शादी के बाद पूरा स्पेस चाहती हैं। आपसी नोक-झोंक, परेशानी, तनाव बढ़ रहे हैं। दोनों चुपचाप अपने-अपने शांत रास्ते अख्तियार कर रहे हैं, क्योंकि दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है। अकेले रहने की दुश्वारियां अधिक चुनौतीपूर्ण हैं, विशेषकर महिलाओं के लिए। व्यावसायिक स्तर पर, विवाह संस्था खतरे में तो है, हालांकि अभिभावक यही चाहते हैं कि किसी तरह उनके बच्चों की शादी सुलटी रहे।
यदि संभावित परिस्थितियां और घटनाएं, ज्योतिषी पहले बता देगा, तो क्या विवाह का किला फतह करने जा रहे भावी पत्नी-पति का आत्मविश्वास कम नहीं होगा। उन्हें जरा-जरा सी बात के लिए खास दिन, मुहूर्त पर निर्भर रहना होगा। ज्योतिषी के निरंतर संपर्क में रहना होगा। समझदार, व्यावसायिक ज्योतिषी अपनी सेवाओं के एवज में भुगतान भी लेगा। जिंदगी की स्वाभाविक परेशानियों और आकस्मिक दुखों को झेलने, निपटने की नैसर्गिक शक्ति कमजोर हो जायेगी। संघर्ष के चंगुल में पहले से फंसा व्यक्ति, भविष्य के बारे में चिंतित होना शुरू हो जायेगा, तब क्या सभी विवाह करना चाहेंगे? सकारात्मक मानवीय सोच को कमजोर कर, बाजार के हवाले करने की कोशिश है यह, जिससे बचना लाजमी है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)