लापरवाही: नरमी न बरती जाए स्कूली बच्चों के जीवन को खतरे में डालने वालों के साथ

लापरवाही: नरमी न बरती जाए स्कूली बच्चों के जीवन को खतरे में डालने वालों के साथ
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हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के कनीना में उन्हाणी गांव के करीब स्कूल बस के पेड़ से टकाराने पर छह बच्चों की मौत वाकई दिल कचोटने वाली है।
हादसे के वक्त चालक नशे में था। बस में 43 बच्चों समेत एक शिक्षिका भी थी। भिड़ंत इतनी भीषण थी कि 34 छात्र घायल हो गए, जिनमें से नौ आईसीयू में हैं। बस चालक, प्रधानाचार्या और स्कूल सचिव को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया। चालक तेज गति से वाहन चला रहा था, मोड़ पर संतुलन खोने से बच्चे खिड़कियों से बाहर उछल कर गिर गए। मरने वाले छात्र 13 से 16 साल की उम्र वाले हैं। हादसे के बाद प्रशासन और नेताओं ने रस्मादायगी करने में देर नहीं की।
इस दुर्घटना में पूर्व मंत्री के परिवार का बच्चा भी मारा गया है। दिल दहलाने वाले इस घटना की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाएगी। साथ ही, विद्यालय पर सख्त कार्रवाई की बात भी हो रही है। पुन: यह बात नहीं की जा रही कि छात्रों की जिंदगी को जोखिम में डालने वालों पर नकेल कैसे डाली जाए। देश भर से कहीं-न-कहीं से इस तरह के हादसों की खबरें आती रहती हैं। स्कूलों के लिए विभिन्न नियम बनाए जाते हैं मगर उनको निर्धारित करने और उन्हें सख्ती से लागू करने वालों को जिम्मेदार नहीं बनाया जाता।
थोक के भाव में गली-गली स्कूल खोले जा रहे हैं, उन पर दूर-दराज से बच्चों को लाने-ले जाने की परिवहन व्यवस्था करनी होती है जिसके प्रति बेहद लापरवाही बरती जाती है। जब भी इस तरह के हादसे महानगरों के बाहर होते हैं तो उन्हें उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता। शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय समेत संबंधित अधिकारियों को भी अहसास कराया जाना जरूरी  है कि उन्होंने घोर लापरवाही बरती है। गैर-जिम्मेदारी सिर्फ मोटी रकम वसूलने वाले निजी विद्यालय ही करते, बल्कि सरकारी स्कूलों की स्थिति और भी खराब है।
अभिभावकों के पास प्राय: न्यूनतम अधिकार होते हैं, उनकी शिकायतों की अनसुनी की जाती है। यदि वे सख्ती से किसी तरह की आलोचना करते हैं तो बच्चे के प्रति अनुचित बर्ताव होने की आशंकाएं बढ़ जाती हैं, या उन्हें स्कूल से निलंबित करने की धमकियां दी जाती हैं। हादसे के बाद नये-नये नियम लादने से भी कोई सुधार नहीं होने वाला। मारे गए बच्चों के अभिभावकों की क्षतिपूर्ति तो असंभव है, मगर देश भर के शेष छात्रों के जीवन को जोखिम में डालने वालों के साथ किसी भी तरह की मुलायमियत न बरती जाए।

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