जीवन-शैली: विदेशों में हाथ से खाना खाने का बढ़ता चलन

सुमित शर्मा
हम अपने देश की संस्कृति को धीरे-धीरे भूलते जा रहे हैं और विदेशी संस्कृति को अपना रहे हैं, लेकिन अब हमारे देश की संस्कृति विदेशों में भी प्रचलित हो रही है। हम अपनी प्राचीन संस्कृति में छुपे हुए वैज्ञानिक तथ्यों को समझने में असमर्थ रहे हैं, लेकिन अब विदेशों में बड़े-बड़े वैज्ञानिक उन पर शोध कर रहे हैं और उनके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को समझने का प्रयास कर रहे हैं। आज प्राचीन भारत की जिन बातों का वैज्ञानिक अर्थ समझकर विदेशी लोग उन्हें महत्व दे रहे हैं और उनका सम्मान कर रहे हैं, वे सभी चीजें हमारे पूर्वजों के जीवन में घुली-मिली थीं। हम सभी को उन्हें अपने जीवन में अपनाने की शिक्षा भी मिली थी, लेकिन हमने उन्हें अपने पूर्वजों का पिछड़ापन समझ कर महत्व ही नहीं दिया और उनका तिरस्कार करते रहे। लेकिन अब वैज्ञानिक शोधों से पता चल रहा है कि प्राचीन भारत के लोगों की उन आदतों और परंपराओं का कितना अधिक महत्व है और क्यों भारत के लोग उन्हें अपने जीवन और आचरण में शामिल किए थे। दरअसल हाथ से खाना खाने की परंपरा मानव सभ्यता की शुरुआत से ही चली आ रही है। प्राचीन काल में लोग चम्मच और कांटे जैसी कटलरी का इस्तेमाल नहीं करते थे। वे अपने हाथों से भोजन को उठाकर खाते थे। भारत में सदियों से हाथ से खाना खाने की परंपरा रही है। भारत के अलावा इथियोपिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और कई अन्य देशों में भी लोग हाथों से खाना खाते रहे हैं। यह सिर्फ खाने का तरीका नहीं है, बल्कि भोजन के प्रति सम्मान और संस्कृति का प्रतीक भी है। कुछ धर्मों में हाथों से खाना खाने को धार्मिक महत्व दिया जाता है। हिंदू धर्म में भोजन को भगवान का प्रसाद माना जाता है, इसलिए भगवान का सम्मान करने के लिए हाथों से खाना खाया जाता है। हाथों से खाना खाना कई संस्कृतियों में सामाजिक बंधन और एकजुटता का प्रतीक भी माना जाता है। अब यह परंपरा पश्चिमी देशों में भी शुरू हो रही है।

दरअसल हाथों से खाना खाने के कई फायदे हैं। खाना खाने का यह तरीका भोजन के स्वाद को तो बढ़ाता ही है, साथ ही पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है और तनाव कम करने में भी यह काफी मददगार होता है। हाथ से खाना खाने के इन्हीं फायदों को देखते हुए विदेशों में खाना खाने के तरीके में बदलाव हो रहा है। पहले विदेशों में हाथ से खाना खाने को अशिष्टता व स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद माना जाता था। पश्चिमी देशों की देखा-देखी भारतीयों ने भी अपनी प्राचीन परंपराओं को छोड़कर हाथ से खाना बंद कर दिया और भारतीय भी अब खाना खाने के लिए अधिकांश रूप से चम्मच व कांटे का ही उपयोग करते हैं। रेस्टोरेंट में तो लोग हाथ से खाने की सोच भी नहीं सकते, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि ऐसा करने पर उन्हें पिछड़ा हुआ समझा जाएगा। लेकिन अब लोगों की सोच बदल रही है। विदेशों में भारतीय संस्कृति और परंपराओं को समझने और अपनाने की कोशिश की जा रही है। अब अमेरिका में हाथ से खाना खाने का चलन बढ़ता जा रहा है। न्यूयॉर्क के कई रेस्टोरेंट में फिंगर-फूड मेनू उपलब्ध हैं। फिंगर फूड का मतलब ऐसा भोजन होता है, जिसे खाने के लिए उंगलियों से पकड़ना पड़ता है। इन रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए चम्मच और कांटे नहीं दिए जाते, बल्कि लोगों को हाथों से खाना खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
हाथों से खाना खाने के अनेकों लाभ हैं, जैसे पाचन तंत्र में सुधार, मोटापे से बचाव, रक्त संचार में सुधार, एकाग्रता में वृद्धि आदि। दरअसल हाथों से खाना खाने से भोजन को अच्छी तरह से चबाने में मदद मिलती है, जिससे पाचन तंत्र पर बोझ कम होता है। हाथों की गर्मी से भोजन को पचाने में सहायक एंजाइमों की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे खाना आसानी से हजम हो जाता है। दरअसल हमारे हाथों में नॉर्मल फ्लोरल नामक बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। हाथों से खाना खाने से धीरे-धीरे खाने की आदत लगती है, जिससे लोग कम खाते हैं और मोटापे का खतरा कम होता है। जब लोग चम्मच या कांटा इस्तेमाल करते हैं, तो वे जल्दी खाते हैं और अधिक भोजन का सेवन करते हैं। हाथों से खाना खाने से हाथों की मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। हाथों से खाना खाने से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे एकाग्रता और याददाश्त में सुधार होता है। इस तरीके से भोजन करने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और खाने का स्वाद भी अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा इसके कई मनोवैज्ञानिक लाभ भी हैं। दरअसल हाथों से खाना खाने से तनाव और चिंता कम करने में मदद मिलती है। इस तरीके से भोजन करने से लोगों का भोजन के साथ एक विशेष संबंध बनता है, जो व्यक्ति को मानसिक सुकून देता है। क्योंकि हाथों से खाना खाने से हमें भोजन के स्वाद, बनावट और गंध का बेहतर अनुभव होता है। हाथों से खाना खाने से पहले कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी हैं।