मुद्दा: पाकिस्तान को रक्षा मंत्री की नसीहत और हिदायत

मुद्दा: पाकिस्तान को रक्षा मंत्री की नसीहत और हिदायत
Spread the love

 

तंकवाद के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नसीहत और चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर पीओके के बिना अधूरा है। इस क्षेत्र को आतंकवाद के केंद्र के रूप में इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री ने इसकी भूमि प्रशिक्षण शिविरों और घुसपैठ गतिविधियों के लॉन्च पैड के तौर पर करने की बात कही। रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर के अखनूर में सशस्त्र बल वयोवृद्ध दिवस रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इसकी पक्की जानकारी भारत के पास है, पाकिस्तान को यह बीमारी खत्म करनी होगी, नहीं तो डॉट-डॉट-डॉट।
पीओके के लोगों को सम्मानजनक जीवन से वंचित रखने और धर्म के नाम पर उनका शोषण करने की भी उन्होंने चर्चा की। पीओके के प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि यह जिया-उल-हक के समय से पोषित भारत विरोधी एजेंडा का हिस्सा है। पीओके यानी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के प्रधानमंत्री अनवर-उल-हक ने बीते हफ्ते जिहादी संस्कृति को फिर जीवित करने की घोषणा की है।
जिहाद की वकालत कर, अल-जिहाद के नारे लगवाने के पीछे उनकी मंशा इलाके की शांति भंग कर स्थिरता को ठेस लगाने की है। भारत-पाकिस्तान के दरम्यान 1965 में अखनूर में ही युद्ध लड़ा गया था। 1948, 1965, 1971 से लेकर 99 तक पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी परंतु घुसपैठ की घटनाएं रुकी नहीं हैं। न ही लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देने की नीति छोड़ रहा है।
सरकार का दावा है कि धारा 370 को हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में महत्त्वपूर्ण बदलाव नजर आ रहा है। राज्य की अब्दुल्ला सरकार ने भी लचीला रुख अख्तियार किया है। सरकार इस इलाके को भारत के माथे के मुकुट का मणि बताते हुए लंबे समय से दावा कर रही है कि वह पीओके को वापस लेने के प्रति गंभीर है।
पाकिस्तान का भारत विरोधी रुख किसी से छिपा नहीं है। शांति के प्रति उदासीन इस पड़ोसी मुल्क के पास आंतरिक समस्याओं का इतना अंबार है कि वह अंतरराष्ट्रीय मसलों के प्रति उपेक्षा भाव अपनाए रहने को मजबूर लगता है। सैनिकों की हौसलाफ़जाई तक तो ठीक है परंतु जब उस पर डपट काम नहीं करती तो यूं डॉट-डॉट-डॉट जैसे हफरे का क्या असर हो सकता है। कोरी धमकियों की बजाय अब सरकार को स्पष्ट तौर पर उंगली टेढ़ी करने से परहेज नहीं करना चाहिए।

ये भी पढ़ें:   मुद्दा: क्या जातीय जनगणना की मांग करना अनुचित है?

Parvatanchal

error: कॉपी नहीं शेयर कीजिए!