नज़रिया: अब होगी अरविंद केजरीवाल की अग्नि परीक्षा?
अजय दीक्षित
चौदह वर्ष के वनवास के बाद रावण को मार कर और सीता को मुक्त करवा कर जब राम जी वापस अयोध्या आए तो उन्होंने कहा कि प्रजा को विश्वास दिलवाने के लिए उन्हें अपनी पवित्रता सिद्ध करने के लिए अग्नि परीक्षा देनी होगी ! यद्यपि यह नारी का अपमान है, ऐसा बहुत से राम भक्त भी मानते हैं ।
कोरोना काल में कहते हैं कि दिल्ली की सरकार ने एक नई आबकारी नीति बनाई जिसमें शराब कारोबारियों को ज्यादा कमीशन मिला । इस ज्यादा कमीशन का कुछ हिस्सा रिश्वत के तौर पर अरविन्द केजरीवाल और उसके साथियों को मिला, ऐसा आरोप ई.डी. लगा रही है । इसी सिलसिले में पहले मनीष सिसोदिया, फिर संजय सिंह फिर अरविन्द केजरीवाल कैद हुए । लम्बे समय बाद काफी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद इन्हें जमानत मिली। केजरीवाल की जमानत के साथ कई शर्तें हैं । केजरीवाल, जब तक वे जेल में रहे उन्होंने त्यागपत्र नहीं दिया । परन्तु बाहर निकलने के बाद अचानक उन्होंने त्यागपत्र देने की घोषणा कर दी । 17 सितम्बर को आतिशी को अंतरिम मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया गया । इसी दिन एल.जी. के सामने अरविन्द केजरीवाल ने त्यागपत्र दे दिया। आतिशी समेत मुख्यमंत्री के दावेदारों में कई नाम चर्चा में थे । परन्तु शायद आतिशी के मृद व्यवहार के कारण लगा कि वह महिला होने के नाते अफसरों से आसानी से काम करा सकेंगी । वैसे वे सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी हैं । उन्होंने इंग्लैंड से एम.ए. किया है । सन् 2013 से वे आम आदमी पार्टी से जुड़ी हैं । परन्तु अरविन्द केजरीवाल ने एक और घोषणा की है कि वे चुनाव के दौरान जनता के पास जायेंगे और कहेंगे कि यदि वे बेईमान हैं तो उन्हें वोट न दें और यदि जनता समझती है कि वे ईमानदार हैं तो वोट दें ।
अब बड़ा घपला है । मान लें कि जनता अरविन्द केजरीवाल को फिर से चुन लेती है तो फिर कौन सी अदालत बड़ी है? जनता की? या कानून की?
असल में दिल्ली में असली पावर एल.जी. के पास रहती है । तो क्या केजरीवाल ने एक्साइज पॉलिसी की स्वीकृति एल.जी. से ली थी या नहीं? फिर यदि नहीं भी ली थी तो एल.जी. और केन्द्रीय गृह मंत्रालय क्या कर रहा था कि दिल्ली में यह घपला चलता रहा? दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी? भाजपा जो आज इतनी आलोचना कर रही है, वह क्यों नहीं तभी सक्रिय हुई ? फिर यह बात भी लीगल एक्सपर्ट बतलाएंगे कि यह मामला ई.डी. और सी.बी.आई. दोनों में कैसे चल रहा है ।
यदि गोवा के इलेक्शन में इतना पैसा लगा तो चुनाव आयोग क्या कर रहा था? तभी क्या गोवा की पुलिस या गोवा की इंटेलिजेंस को कुछ भी मालूम नहीं पड़ा ? सबसे बड़ी बात यह है कि मनीष सिसोदिया, या संजय सिंह या अरविन्द केजरीवाल के पास से एक भी पैसा बरामद नहीं हुआ। तो फिर पैसा कहां गया? असल में यदि अग्नि परीक्षा में केजरीवाल सफल हो जाते हैं और जनता उन्हें फिर से चुनती है तो क्या होगा? यह यक्ष प्रश्न है । देखें आगे क्या होता है?
(ये लेखक के निजी विचार हैं)