नज़रिया: भाजपा की आँख की किरकिरी क्यों हैं ममता बनर्जी
ओमप्रकाश मेहता
केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के अश्वमेद्य यज्ञ का घोड़ा रोकने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भाजपा की आँख की किरकिरी बनी हुई है। दरअसल,भारतीय जनता पार्टी का सपना पूरे देश के सभी राज्यों पर ‘एकछत्र’ राज स्थापित करना है, किंतु पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्य बाधक बने हुए है, अब पश्चिम बंगाल के मौजूदा हालातों को देखते हुए लगता है कि भाजपा ने आर-पार की लड़ाई शुरू करने की ठान ली है और भाजपा विरोधी नेताओं से हर तरीके से निपटने की ठान ली है, इसी का ट्रेलर मौजूदा पश्चिम बंगाल में दिखाई दे रहा है, इसलिए भाजपा ने भी तय कर लिया है कि वे हर कानूनी गैर-कानूनी कदम उठाकर अपनी मनोकामना पूरी करेगें, इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े? इसलिए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा अपनी कोशिशों में कामयाब नही होती है तो वहां राज्यस्तरीय अशांति के नाम पर सरकार को भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है, जिसकी सिफारिश वहां के राज्यपाल केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर पहले ही कर चुके है।
अब यहां मुख्य सवाल यह पैदा होता है कि पश्चिम बंगाल में जिस घटना को लेकर राजनीतिक उठापटक की जा रही है, वैसी घटनाएं तो भाजपा शासित उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में कई घट चुकी है, फिर वहां पश्चिम बंगाल की मौजूदा तर्ज पर आंदोलन क्यों नही हुए, भाजपा शासित उत्तरप्रदेश तो अपराधों का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता रहा है, जहां के मुख्यमंत्री अब शांति का दावा कर रहे है, तो क्या वास्तव में उत्तरप्रदेश ‘‘अपराध शून्य प्रदेश’’ हो गया है, जबकि वहां के लोगों का यह कहना है कि वहां ऐसे अपराधों में कोई कमी नही आई है, उन्हें सार्वजनिक रूप देने पर सक्षम रोक लगाई गई है।
अब जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है, वहां पिछले दो-तीन दिन से जो कुछ हो रहा है, उसके पीछे केवल और केवल भाजपा का ही हाथ बताया जा रहा है, वहां के छात्रों को इस विध्वंसक राजनीति का मोहरा बनायया गया है और इस सबका एकमात्र राजनीतिक उद्देश्य पश्चिम बंगाल को ‘अशांत राज्य’ बताकर वहां की सरकार को भंग कर वहां राष्ट्रपति शासन कायम करना है, अब तक का यह इतिहास रहा है कि केन्द्र में जिस दल की भी सरकार होती है, वह विरोधी पार्टी की राज्य सरकारों को इसी तरह गिरती आई है और राष्ट्रपति शासन कायम करती आई है, आज विपक्ष में विराजित कांग्रेस ने भी केन्द्र में सरकार रहते, विरोधी दलों की राज्य सरकारों पर अनेक बार यही सलूक किया है, इसलिए आज केन्द्र में विराजित सरकार पश्चिम बंगाल को लेकर जो सोच रही है, वह भारतीय राजनीति में कोई नया नही है।
पश्चिम बंगाल के बारे में कोर्ठ सख्त कानूनी कदम उठाने के पहले भारतीय जनता पार्टी इस पहलू पर भी गंभीर चिंतन कर रही है कि केन्द्र के इस कदम का अगले एक दो महीनों में होने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों पर क्या असर पड़ेगा, इसी मसले पर अभी भाजपा में गंभीर चिंतन जारी है, जिसकी बागडोर गृहमंत्री अमित शाह संभाल रहे है।
इस प्रकार कुल मिलाकर मौजूदा समय इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि क्योंकि भारत के राजनीतिक दल अपनी भावी योजनाओं के गंभीर चिंतन में वयस्त है तथा मुख्यत: भाजपा पूरे देश पर ‘एकछत्र राज’ स्थपित करने के मंसूबों में व्यस्त है, अब ऐसे में देश में विकास व जनहित की योजनाओं पर मंथन शून्य हो गया है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)