स्मरण: जनकवि बाबा नागार्जुन को उनकी पुण्यतिथि पर सादर नमन!

अनंत आकाश
जनकवि बाबा नार्गाजुन (बैद्यनाथ मिश्रा ) का जन्म 11 जून 1911तथा निधन 5 नवंबर 1998 को हुआ था। उनका जन्म स्थान, ननिहाल, वर्तमान मधुबनी जिले का सतलखा गांव और
पितृ भूमि तरौनी है। पिताजी गोकुल मिश्र तथा
मां उमा देवी का निधन नागार्जुन के 6 साल का होते ही हो गया था। उनकी शिक्षा संस्कृत बनारस में हुई।वहाँ से कलकत्ता,कुछ समय गुजरात तथा लंका के विद्याविहार परिवेन में उन्होंने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। किसान आंदोलन में राहुल सांस्कृत्यान जी के साथ उन्होंने जेल की सजा भुगती।

1974 के जे पी आंदोलन में जेल
कवि,उपन्यासकार,कहानीकार,अनुवादक,आलोचक नागार्जुन राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे। वर्ष 1989 में स्टूडेंट्स फैडरेशन आफ इण्डिया जब डीएवी महाविद्यालय छात्र संघ में थी, तब हम लोगों ने उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था तथा लगभग सप्ताह भर वे देहरादून ठहरे तथा उन्हें हम लोग दिल्ली तक विदा करने भी गये थे ।
पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि प्रस्तुत है उनकी एक प्रसिद्ध कविता
हिटलर के तम्बू में….
अब तक छिपे हुए थे उनके दांत और नाखून।
संस्कृति की भट्ठी में कच्चा गोस्त रहे थे भून।
छांट रहे थे अब तक बस वे बड़े बड़े कानून।
नहीं किसी को दिखता था दूधिया वस्त्र पर खून।।
अब तक छिपे….
संस्कृति की भट्ठी….
मायावी हैं, बड़े घाघ हैं, उन्हें न समझो मंद।
तक्षक ने सिखलाए उनको, सर्प नृत्य के छंद।।
अजी,समझ लो उनका अपना नेता है जय चंद।।
हिटलर के तम्बू में अब वे, लगा रहे पैबंद।
मायावी हैं,बड़े घाघ हैं उन्हें न समझो मंद।।