स्मरण: अमर शहीद यतीन्द्र नाथ दास की 119 जयंती पर सादर नमन एवं क्रान्तिकारी सलाम !
अनंत आकाश
जिन्हें प्यार से ‘जतिन दा’ कहते थे, उनका पूरा नाम यतीन्द्र नाथ दास था। आज उनकी 119 वीं जयन्ती है। उनका जन्म 27 अक्टूबर 1904 को कलकत्ता में हुआ। उनकी शहादत 13 सितंबर 1929 को लाहौर जेल में 63 दिन की लंबी भूखहड़ताल के बाद हुई। उनकी मां सुहासिनी देवी का देहावसान, जतिन जब 9 साल थे तभी हो गया था। उनके पिता पेशे से अध्यापक थे, जिनका नाम बंकिम बिहारी दास था। जतिन दा ने 1920 में गांधी जी के असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। किन्तु चौराचोरी कांड के बाद गांधी जी द्वारा अचानक आन्दोलन वापस ले लिये जाने से उनका गांधी जी से मोहभंग हो गया । उन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एच आर ए )के तहत क्रान्तिकारी गतिविधियों में हिस्सेदारी करनी शुरू की। वे 1928 में आगरा में भगतसिंह से मिले। 8 अप्रैल 1929 में एसेंबली बम कांड में प्रयोग हुए बम को बनाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया।13 जुलाई 1929 को लाहौर जेल में 63 दिनों की भूखहड़ताल के बाद वे शहीद हो गये। उनकी भूख हड़ताल के पीछे प्रमुख मांग थी कि राजनैतिक बंदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को तत्काल रोका जाए तथा उनके साथ राजनैतिक बंदियों जैसा व्यवहार किया जाए ।उनकी शहादत के बाद उनका पार्थिव शरीर कलकत्ता लाया गया। रास्ते में जगह-जगह देशभक्त लोगों द्वारा उन्हें श्रृद्धांजलि दी गयी। कलकत्ता में उनकी अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा था। उनकी 119 वीं जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन एवं क्रान्तिकारी सैल्यूट !