साहनीय: रं समाज का क्रांतिकारी फैसला, 1 रुपए के शगुन में होगी शादी

पिथौरागढ़। कुमाऊं के रं समुदाय के लोगों ले अपनी बोली और भाषा को बचाए रखने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किया है। अति दुर्गम क्षेत्र होने के बाद भी जिस तरह से उन्होंने अपनी पहचान को बचाए रखने का प्रयास किया निश्चित तौर पर वह अनुकरणीय है। इस समुदाय के लोग न सिर्फ अपनी कला, संस्कृति और बोली को संजोए रखने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं, बल्कि इनका परस्पर सहयोग और सामाजिक सहभागिता हर समाज के लिए प्रेरणादायक है। इतना ही नहीं ये देश की सीमा पर तैनात एक तरह से अवैतनिक प्रहरी हैं, जो भारत सरकार के लिए आंख-कान की तरह काम करते हैं।
अनेक शताब्दियों से कुमाऊं की नेपाल और तिब्बत सीमा से लगी इस धारचूला तहसील की व्यांस, चैंदास और दारमा घाटियों में रं समाज की बसासत है। परंपरागत रूप से व्यापार करने वाला यह समाज पिथौरागढ़ जिले के सबसे संपन्न समुदायों में गिना जाता रहा है। कुमाऊं में इस समाज की सांस्कृतिक और सांगठनिक एकता की मिसाल दी जाती है। रं समाज ने क्रांतिकारी फैसला लिया है। समान में अब 1 रुपए के शगुन में शादी होगी।
रं समाज के लोगों की कोशिश रहती है कि वो अपनी परंपरा, संस्कृति, खानपान और रीति रिवाजों को बचाकर रखें। वर्तमान समय में शहरों से गांवों तक आधुनिकता के नाम पर जो अंधी दौड़ शुरू हुई है, रं समाज उससे बचकर रहने का हर प्रयास कर रहा है। मध्यवर्गीय शादी और अन्य समारोहों में सम्पन्नता के भौंडे प्रदर्शन से रं समाज के लोग बचकर चल रहे हैं। कुछ ही दिन पहले रं समाज की एक प्रतिनिधि संस्था द्वारा पिथौरागढ़ की घाटियों में होने वाली शादियों में आधुनिकता के नाम पर आ रही बुराइयों और फिजूलखर्ची को दूर करने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। इन नियमों को अगर आप पढ़ेंगे तो कानफोड़ू डीजे, हवा में नोट लहराते बाराती और शादी के भोजन के बाद बर्बाद होते अन्न की यादें आपके जेहन में ताजा हो जाएंगी।