
देहरादून- प्रस्तावित इको सेंसेटिव जोन में शामिल किए जाने वाले राजा जी नेशनल पार्क से सटे गांवों में प्रस्ताव का विरोध लगातार जारी है। ग्रामीणों की आपत्तियों के समाधान के लिए वन अधिकारियों ने जनसुनवाई की। ग्रामीणों ने सुनवाई के दौरान भी उनके गांवों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत इको सेंसेटिव जोन में शामिल किए जाने का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि इको सेंसेटिव जोन में शामिल होने के बाद ग्रामीणों की परेशानियां बढ़ जाएंगी। सिमलास ग्रांट के पूर्व प्रधान उम्मेद सिंह बोरा का कहना है कि इको सेंसेटिव जोन बनाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय ग्रामीणों के हित में नहीं है। इस से उन्हें हर काम के लिए पार्क प्रशासन की लंबी चौड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि राजा जी नेशनल पार्क बनाये जाते वक्त भी ग्रामीणों से तमाम वायदे किए गए थे लेकिन उन पर अमल करने की बजाय उल्टा ग्रामीणों के हक़ हुक़ूक़ ही छीन लिए गए। जनसुनवाई करते हुए पार्क प्रशासन की ओर से ग्रामीणों को बताया गया कि इको सेंसेटिव जोन बन जाने से पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी। इसमें ग्रामीणों के लिए किसी भी तरह की कोई रोक टोक नहीं है केवल पर्यावरण संरक्षण के हित में कुछ चीजों को नियंत्रित किया जाएगा। जनसुनवाई में अपने विरोध पर कायम रहते हुए ग्रामीणों ने पहले उनके हितों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग पर जोर दिया।