निगम चुनाव: मतदाता पूछ रहे हैं बड़ा सवाल, वन सीमा से सटे ग्रामीण क्षेत्रों का कब होगा विकास ?

कोटद्वार। क्षेत्र में फिर से नगर निगम के चुनावों का शोर सुनाई देने लगा है। गली-मोहल्ले में जनता की समस्याओं पर फिर से चर्चा होने लगी हैं, जो मुद्दे पांच साल पहले थे, वे जस के तस बरकरार हैं। इन पांच सालों में मुख्य मार्गों पर तो स्ट्रीट लाइटें काफी हद तक लगी, लेकिन वन सीमा से सटी आबादी की समस्याएं जस की तस हैं। लोग सवाल पूछने लगे हैं कि आखिर दूरदराज के इलाकों के लिए नगर निगम और उसके चुने हुए प्रतिनिधियों ने क्या किया है। यह सवाल इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है कि नगर निगम के सभी 40 वार्ड चारों ओर से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के जंगलों से घिरा हुआ है। भाबर और सनेह क्षेत्र के कई वार्डों में हाथी समेत अन्य जंगली जानवरों की धमक से खतरा बना हुआ है। इन वार्डों में स्ट्रीट लाइटों की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। क्षेत्रवासी लगातार हाथी सुरक्षा दीवार बनाने और स्ट्रीट लाइटें लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। भाबर क्षेत्र के अंतर्गत झंडीचौड़, लोकमणिपुर, सिगड्डी, रामदयालपुर, तेलीबाड़ा, उदयरामपुर, कोठला, मवाकोट, सत्तीचौड़, हल्दूखाता तल्ला, शिवराजपुर, दुर्गापुर, खूनीबड़, लालपुर, ध्रुवपुर, शिवपुर, सनेह क्षेत्र के अंतर्गत ग्रास्टनगंज, कुंभीचौड़ और सनेह क्षेत्र जंगल से सटे हुए हैं। यहां हाथी, गुलदार, जंगली सुअर, बंदर समेत अन्य वन्यजीव काश्तकारों की फसलों को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, समय-समय पर मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका भी बनी रहती है। इस बार के नगर निगम के चुनाव में यह मुद्दा अहम है और लोगों को उम्मीद है कि नया मेयर और नगर निगम बोर्ड उनकी समस्याओं का निराकरण करेगा।
जंगली जानवरों से आतंक से पीड़ित उदयरामपुर के लोगों का कहना है कि वन सीमा में बनी हाथी सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम होने के कारण क्षेत्र वन्य जीवों का आवागमन लगातार बना रहता है। कई जगह पर स्ट्रीट लाइट न होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सनेह के मोहन सिंह रावत ने बताया कि सभी को पता है कि सनेह क्षेत्र में हाथी और अन्य हिंसक जानवर लगातार दिखाई देते रहे हैं। इन पर रोक लगाने के लिए अभी तक कोई ठोस उपाय किए ही नहीं गए। कहा कि नए पार्षदों और मेयर को इन समस्याओं पर तत्काल ध्यान देना होगा।
